NEWS UPDATES

भलाई करना और उदारता दिखाना न भूलो, क्योंकि परमेश्वर अयसे बलिदान से खुश होता है याकूब 13 :16

सिंधु घाटी सभ्यता के तबाह के कारण

अध्ययन के निष्कर्ष
करीब 5200 वर्ष पहले सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई, शहर बसे और 3900 से 3000 साल सभ्यता उजड़ गई
नदी का प्रवाह कमजोर पडऩे पर भी सिंधु नदी के मुहाने कृषि के लिए उपयुक्त बने रहे और संभवत : 2000 साल तक लोग यहां जमे रहे
मानसूनी बारिश के कमजोर पडऩे से सिंधु नदी सूखती चली गई और यहां के लोग पलायन कर गए
हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित सरस्वती नदि के बारे में कहा गया है कि यह हिमालय के ग्लेशियर से निकलती थी

दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता के नष्ट होने के पीछे अभी तक इतिहासकार जलवायु परिवर्तन को ही प्रमुख कारण बताते रहे हैं। अब अंतरराष्ट्रीय पुरातत्व वेत्ताओं की एक टीम ने भी अपने अध्ययन में इस बात की पुष्टि की है। इस अध्ययन में कहा गया है कि करीब 4,000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता के नष्ट होने का प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन हीथा। हिंदु पौराणिक कथाओं में वर्णित पवित्र सरस्वती नदी के उद्गम और विलुप्त होने के बारे में भी अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया है।

स्टेट ऑफ आर्ट जियोसाइंस टेक्नोलॉजीज के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक मानसूनी बारिश के कमजोर पडऩे से सिंधु नदी का बहाव कमजोर पड़ता चला गया था, जिसके कारण हड़प्पा संस्कृति धीरे-धीरे उजडऩे लगी थी। कृषि पैदावार के लिए यहां के लोग केवल इसी नदी के जल पर निर्भर थे।

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय टीम ने रिसर्च में सैटेलाइट फोटो और स्थलाकृति के आंकड़ों का उपयोग सिंधु और उसके आसपास की नदियों द्वारा बनाई गई भू-आकृतियों का विश्लेषण करने में किया है। इन नदियों की उपस्थिति खुदाई में पहले ही सिद्ध हो चुकी है। जमा किए गए सैंपल का इस्तेमाल तलछट के मूल तक पहुंचने में किया गया जो नदियों या हवा के बहाव के कारण उस आकृति में बदल गईथीं।

अमेरिका के वुड्स होल ऑसियनोग्राफिक इंस्टीट्यूट के भूविज्ञानी और अध्ययन के प्रमुख लेखक लिवियु जियोसन के मुताबिक उन्होंने मैदान के उस गतिशील परिदृश्य को खंगाला जहां 5200 वर्ष पहले सिंधु घाटी सभ्यता विकसित हुई थी। उन्होंने शहरों का निर्माण किया और 3900 से 3000 साल पहले यह सभ्यता खत्म हो गई। उन्होंने लिखा है कि मानसून की बारिश में गिरावट सिंधु नदी के प्रवाह में कमी का कारण बनी और यही हड़प्पा संस्कृति के विकास और नष्ट होने का आधार रही।

शोध में टीम को सिंधु घाटी के स्थल पर करीब 1000 किलोमीटर की दूरी तक 10 से 20 मीटर ऊंचे और 100 किलोमीटर तक चौथे टीले मिले हैं जो इस नदी ने ही अपने प्रवाह के दौरान बनाए थे। नदी का प्रवाह कमजोर पडऩे पर भी सिंधु नदी के मुहाने कृषि के लिए उपयुक्त बने रहे और संभवत: 2000 साल तक लोग यहां जमे रहे, लेकिन इसके बाद लगातार पानी के अभाव के कारण पूरी सभ्यता यहां से पलायन कर गई।

एक अन्य प्रमुख खोज में टीम ने कहा है कि जिस सरस्वती नदी का जिक्र हिंदू पौराणिक कथाओं में आता है वह हिमालय के 12 महीने आबाद रहने वाले ग्लेशियरों से निकलती थी। अभी तक के पुरातात्विक और भूवैज्ञानिक प्रमाण दर्शाते हैं कि सरस्वती हिमालय से नहीं निकलती थी और यह मानसून के पानी से ही प्रवाहित होती थी। करीब 3900 वर्ष पहले ये नदियां सूखने लगी तो यहां के लोग गंगा बेसिन की तरफ पलायन कर गए।

No comments:

Post a Comment

Note: only a member of this blog may post a comment.